सेक्स का कोई शाब्दिक अर्थ नहीं है, हर कोई इसे करना चाहता है। सेक्स का आशय केवल जननेन्द्रियों से सम्बंधित नहीं है। सेक्स का आशय उस बोधगम्य महत्वपूर्ण उद्यम से है जिस पर ईमानदारी से मूल्य लगाया जाये तो यह बहुमूल्य अभ्यास हो सकता है।
सेक्स को महसूस किया जा सकता है, परन्तु परिभाषित करना बहुत मुश्किल है। सेक्स करना और सेक्स को समझना दो अलग-अलग तथ्य हैं। यह ठीक उसी तरह है जिस प्रकार भोजन करना और भोजन की पाचन क्रिया को समझना अलग-अलग तथ्य हैं।